Essay on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानन्द पर निबंध

 स्वामी विवेकानन्द पर निबंध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

Essay on Swami Vivekananda in Hindi, 10 lines on Swami Vivekananda in Hindi, Paragraph on Swami Vivekananda in Hindi
Essay on Swami Vivekananda in Hindi, 10 lines, Paragraph 


Essay on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानन्द पर निबंध स्वामी विवेकानन्द एक ऐसे महान योगी और दर्शनिक थे जिनको अपना ज्ञान, संवेदना और आध्यात्मिक शक्ति से दुनिया को प्रेरणा दी। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने वेदांत और योग के सिद्धांतों को पूरे विश्व में प्रचारित किया। 1893 के शिकागो धर्म सभा में उनके भाषण ने भारत को विश्व मंच पर एक नई पहचान दी। विवेकानन्द जी ने हमेशा युवाओं को जागरूक, शक्तिशाली और निष्काम सेवा की प्रेरणा दी। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा सफल ज्ञान, श्रद्धा और मनुष्यता की सेवा में ही है।

 

स्वामी विवेकानन्द पर 10 पंक्तियाँ -10 lines on Swami Vivekananda in Hindi

1. स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ।

2. उनका असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था.

3. उनकी मुलाक़ात रामकृष्ण परमहंस से हुई जो उनके गुरु बने।

4. उन्होन सन्यास लेकर अपना नाम स्वामी विवेकानन्द रखा।

5. 1893 में शिकागो के धर्म संसद में उन्होन ऐतिहासिक भाषण दिया।

6. हिंदू धर्म के विचार और सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश दिया।

7. स्वामी विवेकानन्द का मानना ​​था कि युवा शक्ति देश का भविष्य है।

8. 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

9. उनका देहांत 4 जुलाई 1902 को सिर्फ 39 साल की उमर में हो गया।

10. उनके जन्म दिन 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

स्वामी विवेकानन्द पर अनुच्छेद 300 शब्द - Paragraph on Swami Vivekananda in Hindi

स्वामी विवेकानन्द एक ऐसे महान व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत को ना सिर्फ राष्ट्रीय स्टार पर बल्की विश्व मंच पर भी एक नई पहचान दी। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ और उनका असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। बचपन से ही उन्हें ज्ञान और धर्म में गहरी रुचि थी। उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनकी मुलाक़ात रामकृष्ण परमहंस से हुई, जिन्हें उन्होंने आध्यात्मिकता का सच समझा। गुरु के निदान के बाद नरेन्द्र ने संन्यास धारण किया और स्वामी विवेकानन्द कहलाये। उसके बाद उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और सामाजिक समस्याओं को समझने की कोशिश की। विवेकानन्द का मानना ​​था कि भारत तभी आगे बढ़ेगा जब युवा शक्ति जागृत होगी। 1893 में अमेरिका के शिकागो में दिया गया उनका ऐतिहासिक भाषण आज भी लोगों को प्रेरणा देता है। अपने शब्द "सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका" से सबका दिल जीत लिया और हिंदू धर्म के सार्वभौमिक भाईचारे और सहिष्णुता के विचार को पूरे विश्व तक पहुंचाया। स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं, बल्कि व्यक्ति को एक संपूर्ण इंसान बनाना है। उन्होन सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना और हमेशा कहा कि जो मनुष्य की सेवा करता है, वही भगवान की सही पूजा करता है। 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जो आज भी समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहा है। सिर्फ 39 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया, लेकिन उनका योगदान अमर हो गया। 12 जनवरी को उनके जन्म दिन पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानन्द के विचार हमेशा युवाओं को जागृत करते रहेंगे और उनकी ये कहानी हमेशा प्रेरणा देगी - "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त हो जाए।"

 

स्वामी विवेकानन्द पर निबंध 500 शब्दEssay on Swami Vivekananda in Hindi

परिचय

स्वामी विवेकानन्द एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिनको अपना ज्ञान, सोच और आध्यात्मिकता से गरीब भारत को एक नई पहचान दी। उनका असल नाम नरेंद्र नाथ दत्त था, और उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानन्द ने सिर्फ भारत में बालकी पूरे विश्व में भारतीय दर्शन, अध्यात्म और वेदांत का प्रचार किया। आज भी उनके विचार लोगों को प्रेरणा देते हैं।

प्रारंभिक जीवन

स्वामी विवेकानन्द के पिता विश्वनाथ दत्त एक वकील थे और माँ भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक और समझदार महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र को ज्ञान और संगीत में बहुत रुचि थी। उनका मन हमेशा इस प्रश्न में उलझा रहता था कि "भगवान का असल स्वरूप क्या है?" क्या सवाल का जवाब ढूंढने के लिए उन्हें संतों और महापुरुषों से मुलाकात की जरूरत है।

रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात

नरेंद्र की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनकी मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई। जब नरेंद्र ने उनसे पूछा - "क्या आपने भगवान को देखा है?" रामकृष्ण ने तुरत कहा - "हां, मैंने उन्हें उतनी ही स्पष्टता से देखा है जितनी तुम्हें देख रहा हूं।" ये जवाब सुन कर नरेंद्र को महसूस हुआ कि उनको उनके गुरु मिल गए हैं। रामकृष्ण परमहंस ने ही उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

स्वामी विवेकानन्द में परिवर्तन

गुरु की मृत्यु के बाद, नरेन्द्र ने संन्यास धारण किया और अपना नाम स्वामी विवेकानन्द रखा। उसके बाद उन्हें भारत के कोने-कोने में घूम कर गरीबी, अंधविश्वास और सामाजिक समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उनका कहना था कि देश तभी आगे बढ़ेगा जब युवा शक्ति जागृत होगी और समाज सेवा में आगे आएगी।

शिकागो में भाषण (1893)

स्वामी विवेकानन्द का सबसे प्रसिद्ध क्षण था जब उन्हें 1893 में अमेरिका के शिकागो में "विश्व धर्म संसद" में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। अपने भाषण की शुरुआत ये शब्द से करें - "अमेरिका की बहनों और भाइयों", और सभी लोग उनकी तरफ आकर्षित हो गए। हिंदू धर्म की महानता, सहिष्णुता और सार्वभौमिक भाईचारे के बारे में बताया। उनके इस भाषण ने भारत को विश्व मंच पर एक अलग पहचान दी।

स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएँ

स्वामी विवेकानन्द के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में हैं। उनके कुछ प्रमुख उपदेश ये हैं:

1. युवा शक्ति पर विश्वास - उनका कहना था कि अगर युवा जागृत हो जाए तो कुछ भी संभव नहीं है।

2. आत्मविश्वास - इंसान को अपनी शक्ति पर भरोसा करना चाहिए।

3. सेवा ही धर्म है - स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि जो लोग मनुष्य की सेवा करते हैं, वही असल में भगवान की पूजा करते हैं।

4. शिक्षा का महत्व - उनका मानना ​​था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण व्यक्ति बनाना है।

समाज में योगदान

स्वामी विवेकानन्द ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। ये मिशन आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में काम कर रहा है। उनका सपना था एक ऐसा भारत जहां गरीबी, असमान और अंधविश्वास हो।

परंपरा

स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु 39 साल की उम्र में 4 जुलाई 1902 को हुई। छोटी सी उमर में उनको जो योगदान दिया, उसे भारत सदा उनका भारी रहेगा। उनके जन्म दिन 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानन्द एक महान योगी, दर्शनिक एवं राष्ट्रभक्त थे। उन्हें हमेशा युवाओं को जागृत होने और समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। उनका ये विचार हमेशा याद रहेगा - "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त हो जाए।" आज के युवा अगर उनकी शिक्षाओं को अपनाएं तो देश और विश्व दोनों का भविष्य उज्जवल बन सकता है। स्वामी

 

FAQs: स्वामी विवेकानन्द

Q1: स्वामी विवेकानन्द का असली नाम क्या था?

जवाब: उनका असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था.

Q2: स्वामी विवेकानन्द का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।

प्रश्न 3: शिकागो के धर्म सभा में स्वामी विवेकानन्द ने क्या कहा था?

उत्तर: उन्हें अपना प्रारम्भ "सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका" से किया था, जिसकी पूरी सभा प्रभावित हो गई थी।

Q4: स्वामी विवेकानन्द किस गुरु से प्रभावित थे?

उत्तर: वो श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।

Q5: स्वामी विवेकानन्द के विचार युवाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर: क्योंकि उन्हें हमेशा युवाओं को शक्ति, आत्मविश्वास और देश सेवा की प्रेरणा दी।

Post a Comment

और नया पुराने